नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन कार्तिक श्याम और गणराऊ। https://shivchalisas.com